![Brain Stroke Treatment, Brain Stroke Treatment in Delhi](https://www.ibshospitals.com/blogthumb/660d15213f29965337b6e8371eBrain Stroke Treatment.webp)
युवाओं में क्यों बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा? जानिए इसका कारण और इलाज
पिछले कुछ समय से हमारे देश में ब्रेन स्ट्रोक के मामलें कई गुना बढे है। दरअसल युवाओं को ब्रेन स्ट्रोक तेज़ी से प्रभावित कर रहा है। आखिर क्या कारण है कि युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है? इसके जानने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि आखिर ब्रेन स्ट्रोक है क्या? ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब किसी व्यक्ति के दिमाग में पर्याप्त मात्रा में ब्लड और ऑक्सीजन नहीं पहुंचता है। ब्रेन स्ट्रोक के होने से पहले समझने और बोलने में कई तरह की परेशानी होने लगती है। ब्रेन स्ट्रोक में हमारे दिमाग के आर्टरी या नसों में क्लॉट यानी थक्का जम जाता है। ऑक्सीजन के बिना हमारे ब्रेन में ऊतक और कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है और कुछ ही समय में मर जाती है। एक बार जब ब्रेन की कोशिकाएं मर जाती है तो उन्हें पुनर्जीवित करना मुश्किल होता है। जिसके बाद हमारा ब्रेन काम करना बंद कर देता है। जिससे मानसिक विकलांगता के साथ साथ मनुष्य की जान भी जा सकती है। आकड़ों के अनुसार विश्व भर में ब्रेन स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। पिछले कुछ दिनों से तो भारत की स्थिति और भी भयावह होती जा रही है। इस समय भारत में प्रति मिनट्स तीन लोग ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हो रहें है। युवाओ में हर चार में से एक व्यक्ति को स्ट्रोक होने की संभावना होती है। अगर युवा थोड़ी सी सावधानी बरते तो 80% स्ट्रोक को रोका जा सकता है। अगर एक बार हल्का स्ट्रोक आपको हो गया तो गंभीर स्ट्रोक होने की संभावना आपको अधिक होती है।
स्ट्रोक के प्रकार (Types of stroke)
आमतौर से ब्रेन स्ट्रोक तीन प्रकार के होते है। पहला इस्केमिक स्ट्रोक जो सबसे आम स्ट्रोक है और कुल स्ट्रोक का 80% तक होता है। यह मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में थक्के के कारण होता है। यह बुजुर्ग व्यक्तियों को अधिक होता है लेकिन पिछले कुछ समय से यह युवाओं मे भी देखने को मिल रहा है। दूसरे प्रकार के स्ट्रोक है रक्तस्रावी स्ट्रोक जिन्हें हेमरेजिक स्ट्रोक भी कहते है। यह ब्रेन के अंदर अनियंत्रित रक्त रिसाव के कारण होते है। स्ट्रोक के तकरीबन 20% मामले इसी तरह के होते है। तीसरे प्रकार के स्ट्रोक होते है ट्रांसिएंट इस्केमिक स्ट्रोक जिन्हें मिनी-स्ट्रोक भी कहा जाता है। यह ब्रेन में रक्त के प्रवाह में रुकावट के कारण होता है।
कैसे पहचाने की आपको स्ट्रोक हुआ है या नहीं?
आमतौर पर स्ट्रोक होने पर हर व्यक्ति को अलग-अलग लक्षणों का अनुभव होता है। दरअसल यह स्ट्रोक के प्रकार पर निर्भर करता है कि कौन से लक्षणों का अनुभव पीड़ित व्यक्ति को होता है। सामान्यत पीड़ित व्यक्ति का चेहरे एक तरफ झुक जाता है। उसकी बाहों में कमज़ोरी होने लगती है। वह सही प्रकार से बातचीत भी नहीं कर पाता है। अगर किसी को वह संपर्क करना चाहे तो उसे भी वह कर नहीं पाता है। वह सही तरह से संतुलन व समन्वय भी नहीं बना पाता है। उसकी दृष्टि कमजोर हो जाती है और वह छोटी-छोटी बातों में भी कंफ्यूज होने लगता है। शरीर के कई अंग जैसे होठ, हाथ-पैर आदि सुन्न होने लगते है।
क्यों होता है स्ट्रोक?
स्ट्रोक होने के अनेक कारण हो सकते है। आमतौर पर यह रक्त के थक्के के कारण होता है। इसके सबसे आम कारण इस प्रकार है जैसे कैरोटिड धमनियों का अवरुद्ध होना, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कलेस्टरल, डायबिटीज, ब्रेन मे चोट लगना, हार्ट अटैक होना, दिल की धड़कन का अनियंत्रित होना, मोटापा, वाल्वुलर दोष, एथेरोस्क्लेरोसिस, नशीली दवाओ का प्रयोग आदि। इसके अलावा भी इसके अनेक कारण हो सकते है। युवाओं में अधिकतर यह स्मोकिंग, नशीली दवाओं, मोटापे आदि के कारण हो रहा है।
युवाओं में क्यों बढ़ा स्ट्रोक का खतरा
युवाओ में स्ट्रोक का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसके पीछे सबस बड़ा कारण उनकी लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ है। आज के युवा स्मोकिंग, शराब, नशीली दवाए और चाय-कॉफी जैसी चीजों का सेवन अत्यधिक कर रहे है। जिसके कारण युवाओं को स्ट्रेस होने लगता है। न तो उनको नींद सही से आ पाती है और न ही उनका खान-पान उचित रहता है। वे मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि से ग्रसित हो जाते है। इस प्रकार की खराब लाइफस्टाइल युवाओं के शरीर और ब्रेन की नसों को डैमेज कर देती है। इस स्थिति में कॉलेस्ट्रॉल का लेवल भी बढ़ता है और एंटी-ऑक्सीडेंट्स कम होता जाता है। इसी कारण से युवाओं में स्ट्रोक का खतरा बढ़ता जा रहा है।
स्ट्रोक का इलाज (Treatment of Stroke)
स्ट्रोक के मरीजों को जल्द से जल्द इलाज की आवश्यकता होती है। स्ट्रोक का ट्रीटमेंट स्ट्रोक के प्रकार पर निर्भर करता है। स्ट्रोक किस प्रकार का है इस आधार पर डॉक्टर इसका इलाज करते है। दिल्ली के आईबीएस अस्पताल में स्ट्रोक के बेस्ट डॉक्टर्स मौजूद है। देश ही नहीं विदेशों से आए मरीज भी बड़ी संख्या में यहा अपना इलाज करवाते है। इसके इलाज मे सामान्यत IV दवाएं शामिल है जिससे रक्त के थक्के को विघटित किया जाता है। इसके लक्षण की शुरुआत में 4 से 5 घंटे के भीतर दिया जाना चाहिए। इन दवाओं का मकसद रक्त के थक्के को तोड़ना होता है। इसके अलावा एंडोवास्कुलर प्रक्रियाओं जैसे एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग और एथेरेक्टॉमी से संवहनी विकारों के इलाज के लिए न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों का उपयोग किया जाता है। एंडोवस्कुलर प्रक्रियाओं में एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग और एथेरेक्टॉमी शामिल होती है। बड़े थक्कों वाले लोगों को स्टेंट लगाकर थक्का हटाया जाता है। कैरोटिड एंडाटेरेक्टॉमी में फैटी जमा प्लाक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। यह प्रक्रिया उन रोगियों को की जाती है जिन्हें इस्केमिक स्ट्रोक होता है। इसके अलावा सर्जिकल क्लिपिंग, स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी, कॉइलिंग, एवीएम हटाने की विशेष सर्जरी स्ट्रोक के इलाज के लिए की जाती है।पिछले कुछ समय से हमारे देश में ब्रेन स्ट्रोक के मामलें कई गुना बढे है। दरअसल युवाओं को ब्रेन स्ट्रोक तेज़ी से प्रभावित कर रहा है। आखिर क्या कारण है कि युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है?
By -Dr Aaksha Shukla |
October 21, 2023 | 9 Min Read
What is the Treatment for Dementia?
How to Cure Headache: Effective Remedies and Prevention Tips
How to Choose the Best Neuro Rehabilitation Centre in India?
What is Minimally Invasive Spine Surgery?
Best Neurology Hospital in India for Your Needs
Knee Arthroscopy Cost in Delhi, India
Shoulder Arthroscopy Cost in Delhi, India
What Is The Role Of The Neurologist In DBS Surgery?
Spine Surgery Cost In Delhi, India
What is the Recovery Time for DBS Surgery?
How Much Does Brain Tumor Surgery Cost In India?
Brachial Plexus Surgery Cost in India
Bladder Incontinence Treatment : Regain Control of Your Life
Spine Decompression Surgery : A Guide to Understanding and Treating Back Pain
Epilepsy Treatment in Delhi - Causes, Symptoms & Diagnosis | IBS Hospital
Best Paralysis Treatment in Delhi : Causes, Types and Symptoms
Migraine Treatment in Delhi: IBS Hospital | Manage Headaches